The Gospel of Jesus Christ in Hindi ; Yeshu Mashi ka Susamachar

यीशु मसीह का सुसमाचार

The Gospel of Jesus Christ, बाइबल के त्रिएक एंव जीवित  परमेश्वर के अनन्त योजना, ठहराने, एंव भले अभिप्राय के अनुसार, और उसके महिमा के लिए, परमेश्वर का अनन्त पुत्र, जो अपने प्रकृति और गुणों में परमेश्वर पिता के समान है, जो उसकी महिमा का प्रकाश और उसके तत्व की छाप है (इब्रानि. 1:3), उसने स्वेच्छा से स्वर्ग की महिमा और विशेषाधिकार छोड़कर, पवित्र आत्मा के सामर्थ्य से कुंवारी गर्भाधान के द्वारा ईश्वर-मनुष्य बनकर इतिहास के निर्दिष्ट समय मे इस पृथ्वी मे जन्मे, जो पूरी तरह से (वास्तव में) परमेश्वर है, और पूरी तरह से (वास्तव में) मनुष्य भी है, वह परमेश्वर का पवित्र जन है।

उन्होंने पृथ्वी पर अपने जीवन काल मे परमेश्वर के आज्ञाओं, मानक और व्यवस्था का पूर्ण एंव सिद्ध रीति से पालन किए, अतः वह उस सिद्ध धार्मिकता को पूर्ण और सिद्ध और हासिल करते है, जिस धार्मिकता का पापी मनुष्य को बचाने के लिए आवश्यक था।

और जब समय पूरा हुआ, तो मनुष्यों ने उसे अस्वीकार किया, और उसे क्रूस पर चढ़ा दिया, और क्रूस पर उसने अपने लोगो के पापों को उठाया, और वह पापियों के स्थान पर एक विकल्प बना, और एक सिद्ध और निष्पाप बलिदान होकर मारा गया, अतः वह परमेश्वर द्वारा त्यागा (छोड़ दिया) गया था (मत्ती 27:46), और उसने पापियों के खिलाफ, पापियों के स्थान पर, परमेश्वर के धर्मी न्याय और क्रोध को सहते हुए दोषी ठहरकर मारा गया, और पाप के लिए पूरा प्रायश्चित और भुगतान चुकाते हुए, मृत्यु से विजयी होकर वह तीसरे दिन फिर से जी उठा, परमेश्वर ने सार्वजनिक घोषणा के रूप में उसे मृतकों में से उठाया, ताकि परमेश्‍वर यह ऐलान करे कि उसका आत्मबलिदानीय मृत्यु को स्वीकार कर लिया गया है पापियों के स्थान पर एक बलिदान के रूप में। अतएव पाप का दण्ड को चुकाया गया, परमेश्वर के न्याय की माँगें पूरी की गईं, और परमेश्वर का क्रोध शांत किया गया (यशायाह 53:10)।

अपने पुनरुत्थान के चालीस दिन बाद, यीशु मसीह, परमेश्वर का पुत्र और मनुष्य का पुत्र, स्वर्गारोहण के द्वारा परमेश्वर पिता के दाहिने ओर बैठ जाते है, और उसे सभी चीजो के ऊपर प्रभुत्व और अधिकार दिया गया है। वहाँ वह परमेश्वर की उपस्थिति में उन सभी का प्रतिनिधित्व करता है जो उद्धार के लिए केवल उसके माध्यम से पिता के पास आते हैं, और उन सभी के लिये विनती करने को वह सर्वदा जीवित है। (इब्रानियों 7:25)। यही बाइबल के त्रिएक परमेश्वर के और परमेश्वर के पुत्र, प्रभु यीशु मसीह का सुसमाचार है।

और यह सुसमाचार आदेशात्मक है, यह आमंत्रण, बुलाहट, अतः वास्तव मे आदेश के साथ आता है, क्योंकि यीशु मसीह सुसमाचार को प्रचार करते हुए कहते है, “समय पूरा हुआ है, और परमेश्‍वर का राज्य निकट आ गया है; मन फिराओ और सुसमाचार पर विश्‍वास करो।” मरकुस 1:15

और जैसा जैसे इस सुसमाचार को हर जगह प्रचार किया जाता है, यह अपने श्रोताओं को मन फिराने (पाप से फेरने और उद्धार के लिए किसी अन्य चीज़ों पर भरोसा करने से फेरने) और केवल मसीह यीशु में सच्चा विश्वास के द्वारा इस संदेश के प्रति प्रतिउत्तर देने के लिए आह्वान करता है।

सुसमाचार उन सभी को पाप से उद्धार और अनन्त जीवन और कई अनन्त आशीषों का प्रतिज्ञा करता है जो मसीह यीशु में सच्चा विश्वास करता हैं और करेंगे, लेकिन यह उन सभी को चेतावनी भी देता है जो अंततः इसके प्रस्ताव को अस्वीकार कर देते हैं, और अंततः इसे त्याग देते हैं। (यूहन्ना 3:36)।

“क्योंकि परमेश्‍वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्‍वास करे वह नष्‍ट न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए।” यूहन्ना 3:16 (साथ मे पढ़े 1 कुरिन्थियों 15:1-4; इफिसियों 1:3-14)

यह सुसमाचार विशिष्ट है, (गलातियों 1:6-9) इसके अलावा  अन्य कोई सच्चा सुसमाचार और उद्धार का मार्ग नहीं है, यह वह सुसमाचार है जिस पर एक व्यक्ति को उद्धार पाने के लिए अवश्य विश्वास करना है, यह वह सुसमाचार है जिस पर हमें विश्वास करना है, जिसमे हमे दृढ़तापूर्वक बने रहना है, इस अनुसार अपना अपना जीवन जीना है, और इसका ऐलान करते जाना है।

अंततः क्या ही आनन्द का विषय है, कि, यह वही सच्चा सुसमाचार है जिसे स्वर्ग मे गाया जाता है, और प्रत्येक विश्वासी परमेश्वर के आराधना करते हुए इसी सच्चा सुसमाचार का गीत को वहा गायेंगे।

“वे यह नया गीत गाने लगे, “तू इस पुस्तक के लेने, और इसकी मुहरें खोलने के योग्य है; क्योंकि तूने वध होकर अपने लहू से हर एक कुल और भाषा और लोग और जाति में से परमेश्‍वर के लिये लोगों को मोल लिया है, और उन्हें हमारे परमेश्‍वर के लिये एक राज्य और याजक बनाया; और वे पृथ्वी पर राज्य करते हैं।”……………और वे ऊँचे शब्द से कहते थे, “वध किया हुआ मेम्ना ही सामर्थ्य और धन और ज्ञान और शक्‍ति और आदर और महिमा और धन्यवाद के योग्य है!” फिर मैं ने स्वर्ग में और पृथ्वी पर और पृथ्वी के नीचे और समुद्र की सब सृजी हुई वस्तुओं को, और सब कुछ को जो उनमें हैं, यह कहते सुना, “जो सिंहासन पर बैठा है उसका और मेम्ने का धन्यवाद और आदर और महिमा और राज्य युगानुयुग रहे!” और चारों प्राणियों ने आमीन कहा, और प्राचीनों ने गिरकर दण्डवत् किया।” प्रकाशितवाक्य 5:9‭-‬10‭, ‬12‭-‬14

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