भाग 2. ‘’वे लोग, जो क्रिसमस मे ख्रीस्त से चूक गए थे’’

2. हेरोदेस, क्रिसमस से चूक गए थे।

मत्ती 2:1-7’1हेरोदेस राजा के दिनों में जब यहूदिया के बैतलहम में यीशु का जन्म हुआ, तो पूर्व से कई ज्योतिषी यरूशलेम में आकर पूछने लगे, 2“यहूदियों का राजा जिसका जन्म हुआ है, कहाँ हैक्योंकि हमने पूर्व में उसका तारा देखा है और उसको प्रणाम करने आए हैं।” 3यह सुनकर हेरोदेस राजा और उसके साथ सारा यरूशलेम घबरा गया। 4तब उसने लोगों के सब प्रधान याजकों और शास्त्रियों को इकट्ठा करके उनसे पूछा, “मसीह का जन्म कहाँ होना चाहिये?” 5उन्होंने उससे कहा, “यहूदिया के बैतलहम में, क्योंकि भविष्यद्वक्‍ता के द्वारा यों लिखा गया है : 6“हे बैतलहम, तू जो यहूदा के प्रदेश में है, तू किसी भी रीति से यहूदा के अधिकारियों में सबसे छोटा नहीं; क्योंकि तुझ में से एक अधिपति निकलेगा, जो मेरी प्रजा इस्राएल की रखवाली करेगा।” 7तब हेरोदेस ने ज्योतिषियों को चुपके से बुलाकर उनसे पूछा कि तारा ठीक किस समय दिखाई दिया था,’’8 और उसने यह कहकर उन्हें बैतलहम भेजा, “जाओ, उस बालक के विषय में ठीकठीक मालूम करो, और जब वह मिल जाए तो मुझे समाचार दो ताकि मैं भी आकर उस को प्रणाम करूँ।

हेरोदेस ने झूठ बोला कि वह जाकर उस बालक का प्रणाम (आराधना) करेगा, वह वास्तव में घबरा गया था, क्योंकि अभी एक और राजा का जन्म हुआ था। ‘’यह सुनकर हेरोदेस राजा और उसके साथ सारा यरूशलेम घबरा गया।’ (मत्ती 2:3)

लेकिन हेरोदेस के घबराहट का वजह क्या था? सबसे पहले, हेरोदेस एक यहूदी नहीं था वह “एदोमी” था यानी वह याक़ूब के नही वरन विश्वास किया जाता है कि हेरोदेस एसाव के वंशज से था। “यहूदिया का राजा” बनने के लिए हेरोदेस ने रोमीय सम्राट को अपने पक्ष में करने के लिए हर संभव कोशिश की, लेकिन हेरोदेस यहूदी भी नहीं था।

और अब जब उसने कई ज्योतिषियों से सुना, “यहूदियों का राजा जिसका जन्म हुआ है, कहाँ है?” (मत्ती 2:1-3), तो वह घबरा गया और वास्तव मे हेरोदेस एक पागल, क्रुर और दुष्ट इन्सान था, उसने अपनी पत्नी को मार डाला था, फिर उसने उसकी माँ की भी हत्या कर दी थी, उसे अपने दो बेटों से डर था कि वे उसके सिंहासन छीन लेंगे इसलिए उसने उन दोनों का भी हत्या कर दी। वह निराशाजनक रूप से हर किसी पर संदेह करता था, इसलिए उसका पूरा जीवन साजिश रचने और उस साजिश को क्रियाशील करने में से एक था।

अब जब उसने सुना कि एक नया बालक जन्मे है जो यहूदियों का राजा होगा, तो उसने ज्योतिषियों से उस बालक के विषय में ठीक–ठीक मालूम करने, और जब वह मिल जाए तो उसे भी समाचार देने को कहा (मत्ती 2:7-8)। लेकिन ‘’जब हेरोदेस ने यह देखा, कि ज्योतिषियों ने उसके साथ धोखा किया है, तब वह क्रोध से भर गया, और लोगों को भेजकर ज्योतिषियों द्वारा ठीक–ठीक बताए गए समय के अनुसार बैतलहम और उसके आसपास के स्थानों के सब लड़कों को जो दो वर्ष के या उससे छोटे थे, मरवा डाला’’ मत्ती 2:16

परन्तु परमेश्वर ने यूसुफ और मरियम को पहले ही चेतावनी दे दिया था और वे यीशु को लेकर मिस्र देश को भाग गए थे।( मत्ती 2:13-15)

लेकिन मैं आपका केन्द्र को इस सत्य पर आकर्षित करना चाहूँगा कि, हेरोदेस क्रिसमस और ख्रीस्त से चूक गया था, लेकिन क्यों? उसके अहंकार, घबराहट और ईर्ष्या के कारण। हेरोदेस को डर था कि उसका सिंहासन कोई और ले लेगा। यही उसका डर था। और आपसे यह पुष्टि करना चाहता हूं कि ऐसे बहुत से लोग हैं। हेरोदेस इस छोटे से बालक को अपने काम, करियर, अपने पद, अपनी शक्ति, अपनी महत्वाकांक्षा, अपनी योजनाओं और अपनी जीवनशैली में दखल या हस्तक्षेप नहीं करने देना चाहता था।

हेरोदेस किसी भी हाल मे किसी और को राजा नहीं बनने देना चाहता था। यह यीशु ख्रीस्त को अस्वीकार करने का एक मजबूत कारण है।

ओह, ऐसे बहुत से लोग हैं जो मुसीबत में पड़ने पर, वहा से निकलने के लिए यीशु को केवल एक संसाधन के रूप में चाहते हैं, ऐसे कही लोग ईसाईयत मे भरे हुए है जो अपने जागतिक अभिलाषाओं को पूर्ण करने के लिए यीशु को जादुई चिराग से निकला हुआ जिन्न की तरह चाहते है, ऐसे लोग हैं जो यीशु को एक अच्छे आध्यात्मिक मित्र के रूप में चाहते हैं, ऐसे लोग भी हैं जो शायद केवल यही चाहते हैं कि यीशु उन्हें नरक के आग से बचाए, लेकिन यीशु को प्रभु का ताज पहनाने में कोई दिलचस्पी उनकी नहीं है, उन्हें यीशु के प्रभुत्व के प्रति स्वंय को समर्पित करने में कोई दिलचस्पी, रुचि और लगाव नहीं है। वे अहंकार और ईर्ष्या मे आकर अपनी योजनाओं को खो देने से डरते हैं। वे मसीह के वचन के अनुसार मसीह के पास नहीं आना चाहते क्योंकि उन्हे लगता है इससे उनकी जीवन शैली ख़राब हो जायेगी। क्योंकि मसीह उनके जीवनों से सम्पूर्ण समर्पण का मांग करेगा, इसका मतलब है कि उन्हें अपने जीवन जीने, सोचने, बात करने और कार्य करने के तरीके को सम्पूर्ण रीति से मसीह के अनुसार बदलना होगा, अतः वे नहीं आएंगे क्योंकि वे स्वयं अपने जीवन का हेरोदेस बनना चाहते हैं।

यह संसार हेरोदेसयों से भरी हुई है जो अपने जीवन से यह प्रदर्शित करता है कि “हम इस व्यक्ति (यीशु) को हम पर शासन और राज करने नहीं देना चाहते।” आज भी यह सच है, लोगों के पास अपनी ही तरह का एक छोटा सा साम्राज्य है, और वे स्वंय अपना जीवन को चलाना चाहते है, वे आपना घमण्ड और ईर्ष्या से मिश्रित जीवनों को स्वंय चलाना चाहते हैं। और आज हमारे पास ऐसे लोगों की संसार है जो यीशु मसीह के सामने घुटने नहीं टेकने वाले हैं, और इसलिए वे हेरोदेस की तरह ही क्रिसमस के ख्रीस्त से चूक जाते है, हालांकि वे हेरोदेस की तरह शायद दो वर्ष के या उससे छोटे बच्चों का वध नहीं करेंगे, लेकिन मसीह को बाइबल अनुसार सच्चा रीति से ग्रहण न करने का उनका भी कारण वही है; अहंकार, घमण्ड, ईर्ष्या और अपने प्रभुत्व को खोने का भय।

मित्रों! हम आज कैसे हैं? क्या आपने अपने जीवन में यीशु मसीह को ना कहा है? क्योंकि आप उस दावे से डरते हैं जो वह आप पर लगाएगा? (मत्ती 10:37-39; मरकुस 8:34-35; लूका 14:25-35), क्योंकि आप स्वंय अपने जीवन का स्वामी और प्रभु बनना चाहते हैं? आपके करियर का स्वामी? आपके छोटे से साम्राज्य का राजा? यह दुखद है, क्योंकि यीशु ख्रीस्त का राज्य बहुत अधिक महिमामय और गौरवशाली है।

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