भाग 3. ‘’वे लोग, जो क्रिसमस के ख्रीस्त से चूक गए थे’’

3.  प्रधान याजकों और शास्त्रियों

मत्ती 2:1-6 ”1हेरोदेस राजा के दिनों में जब यहूदिया के बैतलहम में यीशु का जन्म हुआ, तो पूर्व से कई ज्योतिषी यरूशलेम में आकर पूछने लगे, 2“यहूदियों का राजा जिसका जन्म हुआ है, कहाँ है? क्योंकि हमने पूर्व में उसका तारा देखा है और उसको प्रणाम करने आए हैं।” 3यह सुनकर हेरोदेस राजा और उसके साथ सारा यरूशलेम घबरा गया। 4तब उसने लोगों के सब प्रधान याजकों और शास्त्रियों को इकट्ठा करके उनसे पूछा, “मसीह का जन्म कहाँ होना चाहिये?” 5उन्होंने उससे कहा, “यहूदिया के बैतलहम में, क्योंकि भविष्यद्वक्‍ता के द्वारा यों लिखा गया है : 6“हे बैतलहम, तू जो यहूदा के प्रदेश में है, तू किसी भी रीति से यहूदा के अधिकारियों में सबसे छोटा नहीं; क्योंकि तुझ में से एक अधिपति निकलेगा, जो मेरी प्रजा इस्राएल की रखवाली करेगा।”

जब हेरोदेस ने ज्योतिषीयों से सुना “यहूदियों का राजा जिसका जन्म हुआ है कहाँ है?” परिणामस्वरूप, यह सुनकर हेरोदेस राजा घबरा गया और तब उसने लोगों के सब प्रधान याजकों एंव शास्त्रियों यानी पेशेवर विद्वानों, विशेषज्ञों, वहा के सबसे बेहतर प्रतिभावानों को इकट्ठा करके उनसे पूछा, “मसीह का जन्म कहाँ होना चाहिये?”, हेरोदेस ने इन विशेषज्ञों से इसका उत्तर ढूंढने को कहा।

अतः इन लोगो ने हेरोदेस से कहा, “हमे इसका उत्तर पता है, यहूदिया के बैतलहम में, क्योंकि भविष्यद्वक्‍ता के द्वारा यों लिखा गया है’’ और फिर वे मीका 5:2 का उल्लेख करता है, “हे बैतलहम, तू जो यहूदा के प्रदेश में है, तू किसी भी रीति से यहूदा के अधिकारियों में सबसे छोटा नहीं; क्योंकि तुझ में से एक अधिपति निकलेगा, जो मेरी प्रजा इस्राएल की रखवाली करेगा।” मत्ती 5:6

ये विद्धान प्रधान याजकों और शास्त्रि लोग सटीक रीति से जानते थे कि मसीहा का जन्म कहाँ होने को था, लेकिन जो बात बिल्कुल हैरान कर देने वाली है वह यह है कि यह सब जानते हुए भी वे बैतलहम गए ही नहीं। यहूदी लोग सदियों से मसीहा की प्रतीक्षा और लालसा कर रहे थे, और यहां वे विद्धान लोग थे जो यह सब जानते थे, और फिर भी उन्होंने कभी भी दो से तीन मील तक चलने की जहमत नहीं उठाई, कि खुद जाकर पता लगाएं कि क्या बैतलहम मे वाकई मे मसीहा जन्मे है या नही? क्यों? क्योकर यह प्रधान याजकों और शास्त्रियों क्रिसमस के ख्रीस्त से चूक गए? करण है उदासीनता, उपेक्षा, उन्हे मसीहा का आने और होने से कोई फर्क नहीं पड़ा, पवित्रशास्त्र के सत्य के प्रती सच्चा ध्यान, विश्वास और समर्पण का अभाव।

कम से कम हेरोदेस को इस बालक के राजा होने का डर था। कम से कम सराय का मालिक तो यह दावा कर सकता था कि वह अज्ञान था, कि वह यीशु के वास्तविकता से अनजान था। लेकिन इन प्रधान याजकों और शास्त्रियों के पास सारे सत्य तथ्य थे, लेकिन बात यह है कि उन्हें इसकी कोई परवाह नहीं थी। मसीहा का होने और आने का विषय उनके लिए कोई बड़ी बात नहीं थी। उन्हें किसी मसीहा का जरूरत नहीं था।  क्यों? उनमें पहले से ही अहंकार और घमण्ड कूट-कूट कर भरा हुआ था। उनके अनुसार वे पहले से ही धार्मिक, परिपूर्ण और सिद्ध थे। क्या ही बड़ा भारी धोखा और झूठा आश्वासन, क्या ही अहंकार और आत्म धोखा।

उन्हें एक उद्धारकर्ता की क्योकर आवश्यकता होता? उन्हें मसीहा की क्या जरूरत था? उनके अनुसार वे वैसे ही ठीक थे, जैसे वे थे, और यीशु ने मत्ती के नौवें अध्याय में एक बहुत ही चुभता हुआ व्यंग्यात्मक फटकार के साथ इस विषय की ओर इशारा किया है।

मत्ती 9:10-12 ‘’10जब वह घर में भोजन करने के लिए बैठा तो बहुत से महसूल लेनेवाले और पापी आकर यीशु और उसके चेलों के साथ खाने बैठे।* 11यह देखकर फरीसियों ने उसके चेलों से कहा, “तुम्हारा गुरु महसूल लेनेवालों और पापियों के साथ क्यों खाता है?” 12यह सुनकर यीशु ने उनसे कहा, “वैद्य भले चंगों के लिए नहीं परन्तु बीमारों के लिए आवश्यक है’’

यीशु कहते हैं कि ”मैं उन लोगों को आमंत्रित करने नहीं आया हूं जो इतने आत्मसंतुष्ट हैं कि वे अपनी तथाकथित अच्छाई और धार्मिकता के बारे में आश्वस्त हैं, और उन्हें किसी की मदद की ज़रूरत नहीं है, वरन मैं उन लोगों के लिए आया हूं जो जानते हैं कि वे टूटे हुए और पापी हैं, जो अपने जीवन मे एक उद्धारकर्ता की आवश्यकता के बारे में पूरी तरह से जागरूक हैं।”

देखिए, इन प्रधान याजकों और शास्त्रियों मे उदासीनता और उपेक्षा की जो समस्या था वह स्वंय मे पाप की स्थिति को न समझने और न एहसास करने की समस्या है (मत्ती 9:10-12 मे यीशु इसका पुष्टि करता हैं)। और आज भी ऐसे ही बहुत से लोग हैं जो इसी वजह से क्रिसमस के ख्रीस्त से चूक जाते हैं। वे बाइबल का यीशु मसीह की उपेक्षा करते हैं, क्योंकि वे पाप का वास्तविकता को नही समझते, वे वास्तव मे यह नहीं जानते और समझते कि वे पापी हैं, और पापी होने का अर्थ क्या है। वे सच्चा उद्धारकर्ता की परवाह नहीं करते क्योंकि वे नहीं समझते कि उन्हें उद्धार की आवश्यकता है। वे यह नहीं समझते कि पाप की मज़दूरी मृत्यु है, पाप लोगों को अनन्त नरक में धकेल देता है, वे यह नहीं समझते, इसलिए परिणामस्वरूप वे उपचार और बचने का एकमात्र उपाय एंव इलाज को नजरअंदाज कर देते हैं, क्योंकि वे स्वंय के बीमारी को समझ पाने के योग्य भी नहीं होते हैं।

  • “अज्ञानी व्यस्तता” के कारण सराय के मालिक क्रिसमस मे ख्रीस्त से चूक गए।
  • ”घमण्डी, ईर्ष्यालु भय” के कारण हेरोदेस क्रिसमस के ख्रीस्त से चूक गए।
  • प्रधान याजकों और शास्त्रिया (बुद्धिमान दिमाग) ”उदासीन अहंकार” के कारण क्रिसमस मे ख्रीस्त से चूक गए।

अन्त मे, यही विनती करता हूं, कि परमेश्वर हमे ऐसे स्थिति से बचाएं कि हम ख्रीस्त से चूक न जाए। 

  1. भाग 1. सराय के मालिक क्रिसमस मे ख्रीस्त से चूक गए थे। https://biblestudyinhindi.com/people-who-missed-christ-on-christmas/
  2. भाग 2. हेरोदेस, क्रिसमस मे ख्रीस्त से चूक गए थे। https://biblestudyinhindi.com/people-who-missed-christ-on-christmas-2/

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