1 यूहन्ना 1:1-4 ‘’परमेश्वर के अनन्त एंव जीवित वचन की वास्तविकता, विशेषता और निश्चयता।’’

1 यूहन्ना 1:1-4 ‘’जो आदि से था,  जिसे हम ने सुना, और जिसे अपनी आँखों से देखा, वरन् जिसे हम ने ध्यान से देखा और हाथों से छुआ –उस जीवन के वचन के विषय में, यह जीवन प्रगट हुआ, और हम ने उसे देखा, और उसकी गवाही देते हैं, और तुम्हें उस अनन्त जीवन का समाचार देते हैं जो पिता के साथ था और हम पर प्रगट हुआ – जो कुछ हम ने देखा और सुना है उसका समाचार तुम्हें भी देते हैं, इसलिये कि तुम भी हमारे साथ सहभागी हो; और हमारी यह सहभागिता पिता के साथ और उसके पुत्र यीशु मसीह के साथ है। और ये बातें हम इसलिये लिखते हैं कि हमारा आनन्द पूरा हो जाए।’’

इन पदो मे प्रेरित यूहन्ना मुख्य रूप से पांच बुनियादी सत्य का उल्लेख करते है।

  1. परमेश्वर के जीवित वचन अनन्त एंव अपरिवर्तनीय है। {1 यूहन्ना 1:1a}
  2. परमेश्वर के जीवित वचन सच्चा/ वास्तविक एंव ऐतिहासिक है।{1 यूहन्ना 1:1b}
  3. परमेश्वर के जीवित वचन का अभिव्यक्ति (प्रकटीकरण) और घोषणा । {1 यूहन्ना 1:2-3a}
  4. परमेश्वर के जीवित वचन के साथ और के द्वारा सहभागिता {1 यूहन्ना 1:3b}
  5. परमेश्वर के जीवित वचन के द्वारा सच्चा और पूर्ण आनन्द {1 यूहन्ना 1:4}

इन्ही पांच केंद्रीय सत्य को हम 1 यूहन्ना 1:1-4 मे देख पाते है, जिनमे से हमने पिछली बार पहले दो विषय को देख लिये थे, और आज हम बाकी के तीन विषयो को देखंगे, जिन्हे हम 1 यूहन्ना 1:2-4 मे पाते है।

3)  परमेश्वर के जीवित वचन का अभिव्यक्ति (प्रकटीकरण) और घोषणा {1 यूहन्ना 1:2-3a}

  • 1 यूहन्ना 1:2-3a‘’यह जीवन प्रगट हुआ, और हम ने उसे देखा, और उसकी गवाही देते हैं, और तुम्हें उस अनन्त जीवन का समाचार देते हैं जो पिता के साथ था और हम पर प्रगट हुआ –जो कुछ हम ने देखा और सुना है उसका समाचार तुम्हें भी देते हैं’’
  • ‘’यह जीवन प्रगट हुआ,’’ :- और एक बार हम यहा मसीह के देह धारण का वास्तविकता और ऐतिहासिकता को देख पाते है। यूहन्ना और बाकी प्रेरितों और अन्य विश्वासीओ के लिए यह कैसा संभव हुआ कि जो आदि से था उसे वे, सुन, समझ, देख, ध्यान से देख पाए? क्योंकि वह अनन्त और अपरिवर्तनीय “जीवन का वचन” और स्वंय “जीवन” प्रगट हुआ।
  • प्रेरित यूहन्ना कहते है, ‘’यह जीवन प्रगट हुआ,’’……. ‘’और हम पर प्रगट हुआ’’ :- तात्पर्य यह है कि हम उस व्यक्ति को जो आदि से पिता के साथ था सुन, देख और समझ नहीं सकते थे, यदि उसने स्वयं को प्रकट करने के लिए नही चुनता। मनुष्य केवल वही समझ और बुझ और देख सकता है जिस सच्चाई को बताने और प्रकाशित करने से परमेश्वर प्रसन्न होते हैं।

और ‘’जीवन का वचन’’ का प्रगटीकरण का वास्तविकता, यूहन्ना का गवाह बनने और प्रचार करने का आधार बन जाता है, इसी सत्य को हम यहा देख पाते है, ‘’यह जीवन प्रगट हुआ, और हम ने उसे देखा, और उसकी गवाही देते हैं, और तुम्हें उस अनन्त जीवन का समाचार देते हैं जो पिता के साथ था और हम पर प्रगट हुआ –जो कुछ हम ने देखा और सुना है उसका समाचार तुम्हें भी देते हैं’’ 1 यूहन्ना 1:2-3a

यूहन्ना कुछ इस प्रकार से कह रहा है कि, ”जो हम पर प्रगट हुआ वह हम तक ना रहा लेकिन उसका समाचार तुम्हे भी देते है, अर्थात तुम्हारे पास घोषणा और प्रचार करते है।” यूहन्ना इस प्रेरितिक घोषणा को दो प्रकार से वर्णन करते है, ‘’उसकी गवाही देते हैं,’’ और ‘’उसका समाचार देते हैं’’

“जीवन का वचन” का सत्य  का गवाही देना और उसका समाचार को घोषणा करना, यूहन्ना के लिए कोई विकल्प या सुझाव नहीं वरन एक आदेश था, जिस  संदेश या समाचार का सामग्री मे से कुछ भी घटाया या जोड़ा नही जा सकता, वरन वह अनन्त और अपरिवर्तनीय सत्य जैसे है वैसे ही उसे हर जगह घोषित किया जाना चाहिए। और जब यूहन्ना कहते है, उसका समाचार तुम्हें भी देते हैं’’ इसके द्वारा वह अपने श्रोताओ का ध्यान को उस समाचार या संदेश का स्रोत की ओर केन्द्रित करता है, जो की स्वंय यीशु मसीह है,

1 यूहन्ना 1:5 मे लिखा है जो समाचार हम ने उस से सुना और तुम्हें सुनाते हैं“, जहा से यह पता चलता है कि  यीशु ने न केवल अपने आप को अपने शिष्यों के सामने प्रगट किए ताकी  वे यीशु के गवाह बनने को योग्य ठहरे, बल्कि उन्होंने प्रेरितों को सुसमाचार प्रचार करने के लिए एक आधिकारिक आदेश भी दिया।

यूहन्ना इस विषय पर जोर देते हुए कहता है कि उसके पास इस सुसमाचार को घोषणा करने का आवश्यक विश्वासयोग्यताएं हैं, क्योंकि उसने प्रभु यीशु को सुनने, देखने और छूने के बाद, अब उसकी गवाही देता है। यीशु मसीह से कमीशन/ आदेश प्राप्त करने के बाद, वह अधिकार के साथ सुसमाचार की घोषणा करता है।

सच्चा बाइबल आधारित ईसाई संदेश या समाचार कोई काल्पनिक या दार्शनिक अनुमान नही है, न ही यह एक अस्थायी सुझाव है, न ही धार्मिक विचारों में एक नैतिक  योगदान है, बल्कि यह उन लोगों द्वारा आत्मविश्वास से पुष्टि की गई है जिनके सच्चा अनुभव और कमीशन (मसीह द्वारा आदेश प्राप्त करना) ने उन्हें इसे  घोषित करने के लिए योग्य ठहराया है।

और इस महान सुसमाचार का संदेश का ऐलान, इस घोषणा तक ही समाप्त नही होता वरन उसका उद्देश्य को अभी आगे बताया जाता है, सबसे तुरंत सहभागिता (1 यूहन्ना 1:3b) और फिर आखिरकार आनन्द की पूर्णता  (1 यूहन्ना 1:4)

 

4)  परमेश्वर के जीवित वचन के साथ और के द्वारा सहभागिता {1 यूहन्ना 1:3b}

  • 1 यूहन्ना 1:3b ‘’…….जो कुछ हम ने देखा और सुना है उसका समाचार तुम्हें भी देते हैं इसलिये कि तुम भी हमारे साथ सहभागी हो; और हमारी यह सहभागिता पिता के साथ और उसके पुत्र यीशु मसीह के साथ है।’’

क्योकर यूहन्ना ने जीवन के वचन का संदेश का घोषणा किया? ताकि प्रत्येक सच्चा विश्वासीया यह जाने और आश्वासित हो कि मसीह मे सच्चा विश्वास के द्वारा उनका सहभागिता परमेश्वर के साथ है, और बाकी विश्वासीयों के साथ भी।

यहा ‘’सहभागिता’’ शब्द का अर्थ है, एक ही उदेश्य या जीवन से पारस्परिक या आपसी रुप से भाग लेना या सहभागी होना।

यह एक ही प्रकार का विश्वास या विचार धारा या शौक रखने वालो के साथ मात्र साझेदारी रखने से कही अधिक है, वरन यह परमेश्वर के अनुग्रह मे, उद्धार मे, पवित्र आत्मा द्वारा मुद्रांकित किए जाने मे, आपसी मिलन या सहभागी होना को दर्शाता है, आत्मा मे जो एक है उनमे आपसी जीवन और प्रेम को यह दर्शाता है।

सुसमाचार प्रचार का एक महत्वपूर्ण लक्ष्य है सच्चा विश्वास को उत्पन्न करना, जो विश्वास मसीह पर उद्धार के लिए भरोसा करता है, और जो लोग उद्धार के लिए मसीह मे सच्चा विश्वास करते है उन लोगो का पिता परमेश्वर के साथ और पुत्र परमेश्वर के साथ और पवित्र आत्मा परमेश्वर के साथ सच्चा मेल होता है।

एक सच्चा विश्वासी जो पाप मे गिरते है, यद्यपि वह परमेश्वर के साथ इस सहभागिता का आनन्द को खो सकता है, लेकिन वह इस अनन्त जीवन का सहभागिता मे होने का वास्तविकता को नही खोएगा जिस सहभागिता को उसे दिया गया है मसीह यीशु मे एक किए जाने के द्वारा।

यीशु कहते है, “मैं तुमसे सच सच कहता हूँ, जो मेरा वचन सुनकर मेरे भेजनेवाले पर विश्‍वास करता है, अनन्त जीवन उसका है; और उस पर दण्ड की आज्ञा नहीं होती परन्तु वह मृत्यु से पार होकर जीवन में प्रवेश कर चुका है।यूहन्ना 5:24 

 

5)  परमेश्वर के जीवित वचन के द्वारा सच्चा और पूर्ण आनन्द {1 यूहन्ना 1:4}

  • 1 यूहन्ना 1:4 ‘’और ये बातें हम इसलिये लिखते हैं कि हमारा आनन्द पूरा हो जाए’’

यूहन्ना द्वारा दिया गया जीवित वचन का प्रकटीकरण का संदेश सच्चा आनन्द को लाता है।

संसार के अनुसार आनन्द का परिभाषा:- आनन्द एक ऐसा भावना है जो तब आते है जब एक व्यक्ति  संसारिक रूप से अच्छा या सफल रहता है, एंव आनंद उस व्यापक मानसिक स्थितियों की व्याख्या करता है जिसका अनुभव मनुष्य सकारात्मक, मनोरंजक और तलाश योग्य मानसिक स्थिति के रूप में करते हैं। इसमें विशिष्ट मानसिक स्थिति जैसे सुख, मनोरंजन, ख़ुशी, इत्यादि शामिल है।

यह बाते सच्चा और अनन्त मसीही आनन्द की वर्णन मे पर्याप्त नही है। आनन्द की सच्चा व्याख्या और अर्थ को समझने के लिए हमे बाइबल मे देखना है, विशेषकर यीशु मसीह के जीवन मे, यीशु कहता है “मैं ने ये बातें तुम से इसलिये कही हैं, कि मेरा आनन्द तुम में बना रहे, और तुम्हारा आनन्द पूरा हो जाए।यूहन्ना 15:11

Dr. Martyn Lloyd आनन्द के विषय मे व्याख्या करते हुए कुछ ऐसा कहते है, जब हम आनन्द की बात करते है हमे यह सुनिश्चित करना है कि वह यीशु मसीह के व्यक्तित्व से मेल खाते हो, सम्पूर्ण संसार ने कभी भी ऐसा व्यक्ति को नही देखा जो आनन्द को उस रीति से जानते हो जैसे हमारा प्रभु (यीशु मसीह), उसके बावजूद वह तुच्छ जाना जाता और मनुष्यों का त्यागा हुआ था; वह दु:खी पुरुष था, रोग से उसकी जान पहिचान थी; और लोग उससे मुख फेर लेते थे।” यशायाह 53:3a

‘’आनन्द’’ एक बहुत गहरी और गहन विषय है जो सम्पूर्ण व्यक्तित्व को प्रभावित करती है।दूसरे शब्दों में, वह केवल एक ही है जो सच्ची आनन्द दे सकता है और वह है प्रभु यीशु मसीह, अतः इस प्रकार उसकी ओर ताकते रहना, विश्वासपूर्वक उसका ध्यान करते जाना, कि यीशु मसीह की व्यक्ति मे मेरा संतुष्टि और तृप्ति है, और उसमें मैं पूर्ण हूं।  दूसरे शब्दों में, “आनन्द” प्रभु यीशु मसीह को सच्चा रीति से जानने और उसे जानने मे वढ़ते जाने का प्रतिफल है।

इस महत्वपूर्ण गन्तव्य (आनन्द की पूर्णता) के लिए, ‘’जीवन का वचन’’ जो आदि से था, वह समय और इतिहास मे प्रकट हुआ, और जो कुछ प्रेरितों ने सुना, देखा और छुआ, उन्होंने हमें घोषित किया। प्रेरितिक घोषणा का बुनियाद था ‘’जीवन का वचन’’ (अनन्त एंव अपरिवर्तनीय) की ऐतिहासिक प्रकटीकरण; और उस घोषणा का उद्देश्य है सहभागिता, विश्वासीयों का एक दूसरो के साथ सहभागी होना, जो पिता और पुत्र के साथ सहभागिता पर आधारित है, जो आखिरकार आनंद की पूर्णता को लाती है।  

यूहन्ना चाहता था कि उसका श्रोताए इस सच्चा और अनन्त आनन्द को पाए और अनुभव करते जाए, जो आनन्द मसीह के वास्तविकता को समझकर, उसके सुसमाचार का संदेश को विश्वास कर, परमेश्वर के साथ, एंव एक दुसरे के साथ सहभागी होने के द्वारा आता है।

क्या हमारे पास आज यह आनन्द है? जो यीशु की बाइबल आधारित सच्चाई को समझकर, उसके सुसमाचार को विश्वास कर, बाइबल का परमेश्वर के साथ सहभागिता एंव एक दूसरे विश्वासीयों के साथ सहभागिता मे बने रहने के द्वारा आता है?

यदि हम मे से कोई है जो इस रीति का सच्चा आनन्द को आज तक  अनुभव नही किए है, तो इस आनन्द को अनुभव और उपलब्ध न कर पाने का सबसे बड़ा बाँधा है इन्सानी पाप और इस पाप के वजह से आता परमेश्वर का न्याय, हम अपने पापो मे आनन्द की नही वरन न्याय का हकदार है, लेकिन अच्छा समाचार, अर्थात सुसमाचार यह है “क्योंकि परमेश्‍वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्‍वास करे वह नष्‍ट न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए।” यूहन्ना 3:16

यीशु मसीह पर विश्‍वास कीजिए तो आप अपने पापो से उद्धार पायेंगे और अनन्त जीवन और आनन्द मे प्रवेश करेंगे।

परमेश्‍वर जो आशा का दाता है तुम्हें (हम सबको) विश्‍वास करने में सब प्रकार के आनन्द और शान्ति से परिपूर्ण करे, कि पवित्र आत्मा की सामर्थ्य से तुम्हारी आशा बढ़ती जाए।” रोमियों 15:13

 

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